भारत में अब दो बच्चे ही पैदा कर रहे लोग, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट जारी

By: Pinki Wed, 23 Dec 2020 7:08:23

भारत में अब दो बच्चे ही पैदा कर रहे लोग, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट जारी

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों में सामने आया है कि परिवार नियोजन की मांग में सुधार हुआ है और महिलाओं द्वारा पैदा किए बच्चों की औसत संख्या में भी गिरावट आई है। ग्रामीण और शहरी इलाकों में आधुनिक गर्भनिरोधक (कॉन्ट्रासेप्टिव) के इस्तेमाल को लेकर लोगों की समझ काफी विकसित हुई है। इस महीने की शुरुआत में आए NFHS-5 की रिपोर्ट के पहले पार्ट में 17 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों का रिकॉर्ड डेटा है। इंटरनेशनल नॉन प्रॉफिट पॉपुलेशन (PC) का डेटा एनालिसिस बताता है कि 17 में से 14 राज्यों के 'टोटल फर्टिलिटी रेट' में गिरावट आई है। इन राज्यों में प्रति महिला बच्चों का औसत 2.1 या इससे भी कम है। रिपोर्ट की मानें तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और बिहार जैसे राज्यों में 2015-16 की तुलना में कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल काफी बढ़ा है। पिछले रिपोर्ट्स की तुलना में इस साल में इस रिपोर्ट में सामने आया है कि देश में अब गर्भनिरोधकों को लेकर भी लोग जागरुक हो रहे हैं और इसके इस्तेमाल में बढ़ोतरी हो रही है। सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश में 70.8% लोग, कर्नाटक में 68.2%, तेलंगाना में 66.7%, महाराष्ट्र नें 63.8%, गुजरात में 53.6%, केरल में 52.8%, बिहार में 44.4% लोग गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, पिछले सालों की तुलना में 10.5% की बढ़ोतरी हुई है।

एक्सपर्ट का मानना है कि ये आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि देश में 'जनसंख्या विस्फोट' का डर निराधार है और केवल दो बच्चे पैदा करने की योजना लाने की जरूरत नहीं है। राष्ट्रीय स्तर के एनजीओ पॉपुलेशन फाउंडेशन इंडिया की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पूनम मुटरेजा कहती हैं कि हमें बिना किसी साक्ष्य के फैलाई जा रही बातों से दूर रहने और सोचने-समझने की जरूरत है। यह डेटा दो बच्चे पैदा करने की योजना के मिथक और गलत धारणा को उजागर करता है।

PC के कंट्री डायरेक्टर डॉ निरंजन सागुर्ती ने इन आंकड़ों के आधार पर कहा कि 2005 से 2016 के बीच NFHS-3 और NFHS-4 कंडक्ट किए गए थे। उस दौरान 22 में से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कॉन्ट्रासेप्टिव के आधुनिक तरीकों (ओरल पिल, कॉन्डम, इंट्रा-यूट्रिन डिवाइस) के इस्तेमाल में बड़ी गिरावट देखी गई थी। लेकिन NFHS-5 में 12 में से 11 राज्यों में इनका इस्तेमाल पहले की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ा है।

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